Monday, January 7, 2013


घासन पात पर
माखन सन चून!
तइ परसँ जौं
होइ कथ दुगून!
रूचि  अनुरूपे
होय जरदा देल!
ताम्बुल कतरल
आर किवामक मेल!
सिनेहे  सजाओल
गुलाब जल फेटल!
एहन आनन्द ने
दोसर भेटल!
मुहँ मे जाइते
अलगे शान!
हाँ यौ बाबू
ई थिक पान
मिथिला मैथिल 
केर पहचान!

राजीव रंजन मिश्र

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