Wednesday, January 18, 2012

हर वक्त बीतने  वाला,कुछ देकर ही जाता है!
हर मोड़ छुटने वाला,एक राह नया लाता है!
हर फूल टूट कर डाली से,एक कली नया लाता है!
हर एक पवन का झोंका,मधुबन को मह्काता है!


हर शाम ढले,रात आती,सन्नाटा छा जाता है!
हर सुबह सबेरे,सूरज आकर,मन ताज़ा कर जाता है!
हर दिन बीत कर,क्रमशः,एक साल बीता जाता है!
हर साल गुजरने वाला,एक वर्ष नया लाता है!


आओ! हम सीखें इनसे,और दृढ संकल्पित  हो कदम बढ़ाएं!
नव उमंग,नव चेतन मन से, शुभ नव वर्ष मनाएं! 




----राजीव  रंजन मिश्र 
०१.०१.२०१२ 
  




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